आजाद भारत में मूलनिवासी आदिवासी आजाद है ? क्योंकि आज हम देखते है कि हमारे दुश्मनों ने मूलनिवासी बहुजन समाज के चार समूहों के 20 करोड 85 लाख लोगों को भूखमरी के कगार पर पहुंचा दिया है । उनमें सबसे ज्यादा भूखमरी के शिकार आदिवासी लोग है ,
पांचवी व छटवी अनुसूचि पर कोई अमल नहीं ।
संविधान की पांचवी अनुसूचि में आदिवासियों को कौन से विशेषाधिकार बहाल किये गये हैं तथा इस अनुसूचि के प्रावधानों पर ना अमल कर शासक जाति के लोगों ने आदिवासियों के साथ कौनसी धोखेबाजी की इस बात को जानने और समझने के पहले इस अनुसूचि के संबंध में इतिहास को समझना जरूरी है । ब्राह्मण खुद को सभ्य होने का दावा करते हैं और सभ्य होने का दावा करनेवाले ब्राह्मण जंगलों में रहनेवाले आदिवासियों को जंगली कहते है । ‘ जंगली ‘ यह गाली है । जंगली का मतलब है असभ्य । और सभ्य लोग असभ्य लोगों को मानवी अधिकार देना नहीं चाहते थे ।
आदिवासियों पर आदिवासीही राज करेगा
डा . अम्बेडकर ने संविधान में दूसरे लोगों की तरह ही आदिवासियों को भी मानवी अधिकार बहाल किये । इसके साथ – साथ एक ऐसा विशेषाधिकार बहाल किया जो दूसरे लोगों को नहीं है । ‘ मनुस्मृति ने ब्राह्मणों को जो – जो विशेषाधिकार दिये थे , वो सारे विशेषाधिकार डॉ . अम्बेडकर ने संविधान के माध्यम से खत्म कर दिये मगर आदिवासियों को विशेषाधिकार बहाल किया । संविधान की पांचवी अनुसूचि आदिवासियों का स्वायत्त शासन करने का अधिकार है । स्वायत्त शासन का मतलब है आदिवासियों पर आदिवासीही राज करेगा
संविधान की पांचवी अनुसूचि की धारा 3 में कहा गया है कि , जो अनुसूचित क्षेत्र है ऐसे प्रत्येक राज्य का राज्यपाल साल के अंत में या राष्ट्रपति को जब आवश्यक लगे तब – तब उस राज्य के अनुसूचित क्षेत्र के प्रशासन के सम्बंध में राष्ट्रपति को रिपोर्ट देगा और उक्त क्षेत्र के प्रशासन के बारे में राज्य को निर्देश देना यह गणराज्य की शासनशक्ति के दायरे में होगा ।
एक धारा 4 ( 1 ) में कहा गया है कि
अनुसूचित क्षेत्रवाले प्रत्येक राज्य में तथा राष्ट्रपति द्वारा निर्देशित करने पर अनुसूचित जनजाति होने पर भी अनुसूचित क्षेत्र नहीं है ऐसे किसी भी राज्य में बीस से कम सदस्योंवाली ‘ जनजाति सलाहकार परिषद ‘ होगी और उन सदस्यों में जहाँ तक सम्भव है लगभग 3/4 सदस्य अनुसूचित जनजाति के उस राज्य की विधानसभा के सदस्य होंगे ।
धारा 4 ( 2 ) का यह प्रावधान है कि
जनजाति सलाहकार परिषद के सामने निर्देशित की जानेवाली राज्य के अनुसूचित जनजाति के कल्याण एवं उन्नति से सम्बंधित बातों पर सलाह देना इस परिषद का कर्तव्य होगा ।
धारा 5 ( 2 ) में कहा गया है कि
अनुसूचित क्षेत्र में निवास करनेवाले अनुसूचित जनजाति के व्यक्तिद्वारा या उन्हें आपस में जमीन हस्तान्तरण के लिए मना करना या जमीन हस्तान्तरण पर पाबंदी लगाना यह राज्यपाल का उत्तरदायीत्व है।
सन् 2001 की जनगणना
इस देश में सन् 2001 की जनगणना के अनुसार आदिवासियों की 8 करोड 44 लाख आबादी है ।
इसमें से लगभग ढाई करोड लोगों को विस्थापित कर दिया गया है ।
संविधान की पांचवी अनुसूचि इसलिए काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि इस देश की साढे आठ करोड जनता में से 7 करोड आदिवासी पांचवी अनुसूचि के क्षेत्र में निवास करते हैं तथा एक करोड लोग छठवीं अनुसूचित के क्षेत्र में रहते हैं ।संविधान की धारा 330 और धारा 332 के तहत अनुसूचित जाति , जनजाति के लोगों के लिए राजनैतिक आरक्षण का प्रावधान किया गया है । धारा 330 के तहत लोकसभा की अनुसूचित जाति के लिए 77 सीटें रिजर्व हैं । और अनुसूचित जनजाति के लिए 42 सीटें रिजर्व है । तथा धारा 332 के तहत विधानसभा में अनुसूचित जाति को जहाँ 600 सीटें रिजर्व हैं वहीं अनुसूचित जनजाति के लगभग 400 450 विधायक सारे देश भर से विधानसभा में चुनकर जाते हैं । संविधान की पांचवी अनुसूचि में यह प्रावधान है कि लोकसभा या किसी भी राज्य की विधानसभा चाहे जो भी कानून बनायें , यदि आदिवासियों की सलाहकार परिषद उस कानून को आदिवासी क्षेत्र में लागू करवाना नहीं चाहती है तो लोकसभा और विधान सभा द्वारा बनाया हुआ कोई भी कानून भारत के किसी भी क्षेत्र में लागू नहीं हो सकता ।
आदिवासी विस्थापित क्यो हो रहे है
मगर आज क्या हो रहा है ? जल परियोजना के तहत आदिवासियों जमीन हड़प कर वहाँ डैम बनाने जा रहे हैं । डैम बनाने की वजह से आदिवासी विस्थापित हो रहे हैं । संविधान की पाँचवी और छठवीं अनुसूचि में कहा गया है कि आदिवासी और अनुसूचित क्षेत्र में रहने वाले लोग काफी शोषित हैं । आदिवासियों की सभ्यता , उनकी जमीन , उनके जंगल , वहाँ की खनिज संपदा और आदिवासियों की कला और संस्कृति को सुरक्षित रखने का प्रावधान इस अनुसूचि में किया गया है । मगर पिछले 58 साल का इतिहास देखा जायें तो शासन और प्रशासनिक स्तर पर इन प्रावधानों का बिल्कूल उलटा काम किया गया ।
- आदिवासियों का इतिहास | भारत पर आर्यों का आक्रमण
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- गोंडी सगा सामुदायिक पंचायती व्यवस्था

भारत के संविधान में अनुच्छेद 14 ( 4 ) , 16 ( 4 ) और 335 के तहत हमें शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण भी दिया गया है । अनुच्छेद 275 में यह प्रावधान है कि भारत सरकार का बजट बनाते समय आदिवासी समाज के लिए अलग से पैसा सुरक्षित रखना होगा ।
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