गोंडी समुदाय मे गोंडी सांस्कृतिक उत्सव हरित पर्व कैसे मनाया जाता है
हर्योम्मास पूजा कोया वंशीय गोंड समुदाय के गण्डजीवो में ऐसी प्रथा है कि हर एक ऋतु में जो नई सब्जी , कन्दमूल , और फल निकल आते हैं उनका सेवन करने के पूर्व वे अपने देवी देवताओं को अर्पण करते हैं । हर्योम्मास पूजा इसी से संबंधित एक रिवाज है।
हर्योम्मास पूजा / हरीयाली अमावश
वर्षा ऋतू आरंभ होने पर जो नई सब्जी अपने आप घरती दाई की गोद में निकल आती है उसे अपने सगा देवों को सर्व प्रथम अर्पण करते हैं । उसके लिये देवी देवताओं की पूजा की जाती है । यह पूजा ज्येष्ठ अमावश को सम्पन्न होती है । Gondi worship.
हर्योम्मास इस गोंडी शब्द का अर्थ हरीयाली अमावश ऐसा होता है ।
उस दिन घर आगन की साफ सपाई कर हरी सब्जी बनाकर अपने देवों को नैवद्य चढ़ाते है । जो जितने सगा देव शाखा के होते हैं उतने ही प्रकार की हरी सब्जियों की तरकारी बनाकर नैवद्य चढ़ाते हैं । जैसे
- एक देव ( उदी पेन ) सगा - विरोटा
- दो देव ( रंडू पेन ) सगा- चिरोटा माट
- तीन देव ( मुंद पेन ) सगा- चिरोटा , माट , दवडी
- चार देव ( नालुंग पेन ) सगा-चिरोटा ,माट,दवडी ,कुटला
- पाच देव ( सयुंग पेन ) सगा - चिरोय , माट , दवडी , कुटला , कोयका
- छह देव ( सारूंग पेन ) सगा - चिरोय , माट , दवडी , कुटला , कोयका , लोनिया
- सात देव ( येरुंग पेन ) सगा - चिरोटा गाट , दवडी कुटला , कोयका लोनिया , पकोनी सभी गोत्र की जाणकारी उपलब्द है
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इस तरह सगा शाखाओं के अनुसार जिन सब्जियों की तरकारी बनाकर देवों को नैवद्य चढ़ाया जाता हैं ,वे सभी अपने आप उग आते हैं ।
जिन सब्जियों को वे अपने खेतों में उगाते हैं उनका इस पर्व में नैवद्य चढाने के लिये प्रयोग नहीं किया जाता । Read More
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