गोंडी समुदाय के गोत्र नाम
📒पुरा गोंड समुदाय कुल 750 कुलगोत्र नामों में विभाजित है!
एक देव सगा घटक मे सात देव सगा घटक तक प्रत्येक सगा के लीये सौ सौ गोत्र नाम आवंटीत है ऑर आठ देव सगा घटक दे बारह सगा घटक टक प्रत्येक सगा के दस दस गोत्र नाम आंवटीत किये गये है !
- उंदीवेन सगा -100 गोत्र नाम (पारी परोल्क )
- रांडवेन सगा -100 गोत्र नाम (पारी परोल्क )
- मुंदवेन सगा -100 गोत्र नाम (पारी परोल्क )
- नालवेन सगा -100 गोत्र नाम (पारी परोल्क )
- सैवेन सगा -100 गोत्र नाम (पारी परोल्क )
- सर्वेन सागा -100 गोत्र नाम (पारी परोल्क )
- येरवेन सगा -100 गोत्र नाम (पारी परोल्क )
- अर्वेन सगा -10 गोत्र नाम (पारी परोल्क )
- नर्वेन सगा -10 गोत्र नाम (पारी परोल्क )
- पद्वेन सगा -10 गोत्र नाम (पारी परोल्क )
- पार्वुन सगा -10 गोत्र नाम (पारी परोल्क )
- पार्र्ड सगा -10 गोत्र नाम (पारी परोल्क )
ஃहर गोत्र नाम धारक के लीये एक पक्षी ,एक प्राणी ऑर एक वनस्पति का संवर्धन करना प्रथम कर्तव्य है ! आपणे कुल गोत्र चिन्हो के प्रतीक पशू पक्षी एवं वनस्पति की हत्या या काटछाट करना उंके लीये सामाजिक अपराध के बराबर होता है ! ऐसे कृत्य करणवाले व्यक्ति को सामाजिक पंचायती ऑर आपणे देवी देवताओ को दंड देणे का पत्र होणा पडता है !
ஃहर गोत्र धारक आपणे गोत्र चिन्हो के पशू , पक्षी या वनस्पति को छोडकर अन्य पशू , पक्षी एवं वनस्पति का सेवन या भक्षण करणे का हाकदार होता है ! कीसी के द्वारा ऐसा करणे से रोकणे पार रोकथाम करनेवाला सामाजिक अपराधी होता है ओर पंचायती दंड का पत्र भी होता है !
ஃगोंड समुदाय के 750 गोत्र धारक प्रत्येक गोत्र के तीन तीन कुल चिन्हो के हिसाब से एक ऑर प्रकृती के 2250 जीव सत्वों के संरक्षक भी होते है तो दुसरो ऑर भक्षक भी होते है ! इस तरह प्रकृती का संतुलन बनये राखणे हेतु इस नियम का परिपालन करना अनिवार्य है ! इस नियम का उल्लंघन करणेवला सामुदायिक अपराधी होता है ऑर पंचायती दंड का पात्र भी होता है !
ஃगोंड सगा समुदाय के गंडजिव 750 अंक को पवित्र मानते है क्योंकी यह उनके गन गोत्रो की संख्या है ऑर इस अंक का अनादर करणेवला सामुदायिक अपराधी एव पचायती दंड का पत्र होता है !
ஃगोंड सगा समुदायके प्रथम तीन सगा जो जंगो रायतार के नाम दे विभाजित किये गये द उन्हे बाद मे पारी कुपार लिंगो सारवेण सगा मे विलीन कर दीय गया ! उसि तरह गोंडी पुणेम दर्शन प्रचार एव प्रसार कार्य पूर्ण हो जाने पार जो पांच भुमका सागा थे उन्हे भी पाती कुपार लिंगो के चार सगओ मे विलीन किया गया ! इस लिये एक , दो, तीन , आठ , नों, दस , ग्यारह तथा बारह सगाओ के सगा घटक अस्तित्व मे नही है ! इसके बावजुद भी जो कोई सगा विलीनीकरण की प्रक्रिया से शेष रहे वे आज भी आपणे पुराणी सगा घटक संख्या से आपणे संबोधित करते है !
गोंडी पूनेम के तिसरे मुठवा रायलिंगो ने अपने कार्यकाल मे उक्त शाखाओ मे विलीनीकरण का महत कार्य किया और ऐसा नियम बना दिया की सम सगा धारको के भूमकाओ का कार्य विषम सगा धारक और विषम सगाओ के भूमकाओ का कार्य सम सगा धारक आपस मे करेंगे। इस तराह सगा संबंधी मिलकर आपस मे एक दुसरे के सभी सामाजिक एवं धार्मिक कार्य मे मदद करते है ।नही करणे पर वे सामुदायिक अपराधी एवं पंचायती दंड के पात्र होते है।
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