पांचवी अनुसूची अनुच्छेद २४४ ( १ ) अनुसूची क्षेत्रों (Page no-02 )

Page no-02 

पांचवी अनुसूची अनुच्छेद २४४ ( १ ) अनुसूची क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों के प्रशासन और नियंत्रण के बारे में  पुरी जाणकारी उपबंध है. (Page no-02 )


1 निर्वचन -

इस अनुसूची में , जब तक कि संदर्भ से अन्यथा अपेक्षित न हो , " राज्य " पद के अतर्गत असम मेघालय , त्रिपुरा और मिजोरम राज्य नहीं हैं ।

2 अनुसूची क्षेत्रों में किसी राज्य की कार्यपालिका शक्ति

इस अनुसूची के उपबों के अधीन रहते हुए , किसी राज्य की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार उसके अनुसूचित क्षेत्रों पर है ।

3. अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन के संबंध में राष्ट्रपति को राज्यपाल द्वारा प्रतिवेदन

ऐसे प्रत्येक राज्य का राज्यपाल जिसमें अनुसूचित क्षेत्र हैं , प्रतिवर्ष वा जब भी राष्ट्रपति इस प्रकार अपेक्षा करे , उस राज्य के अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन के सबंध में राष्ट्रपति को प्रतिवेदन देगा और सघ की कार्यपालिका शक्ति का विस्तार राज्य को उक्त क्षेत्रों के प्रशासन के बारे में निदेश देने तक होगा ।

...भाग ख...

अनुसूचित क्षेत्रों और अनुसूचित जनजातियों का प्रशासन और नियंत्रण.

4. जनजाति सलाहकार परिषद् -

5. अनुसूचित क्षेत्रों को लागू विधि -

( क ) ऐसे क्षेत्र की अनुसचित जनजातियों के सदस्यों द्वारा या उनमें भूमि के अंतरण का प्रतिषेध या निबंधन कर सकेंगे ;
( ख ) ऐसे क्षेत्र की जनजातियों के सदस्यों को भूमि के आबंटन का विनिमयन कर सकेंगे ,
( ग ) ऐसे व्यक्तियों द्वारा जो ऐसे क्षेत्र की अनुसूचित जनजातियों के सदस्यों को धन उधार देते हैं , साहूकार के में कारबार करने का विनियमन रूप कर सकेंगे ।
( 3 ) ऐसे किसी विनियम को बनाने में जो इस पैरा के उपपैरा ( 2 ) में निर्दिष्ट हैं , राज्यपाल संसद के याद उस राज्य के विधान - मंडल के अधिनियम का या किसी विद्यमान विधि का , जो प्रश्नगत क्षेत्र में तत्समय लागू है , निरसन या संशोधन कर सकेगा ।
( 4 ) इस पैरा के अधीन बनाए गए सभी विनियम राष्ट्रपति के समक्ष तुरंत प्रस्तुत किए जाएगे और जब तक वह उन पर अनुमति नहीं दे देता है तब तक उनका कोई प्रभाव नहीं होगा ।
( 5 ) इस पैरा के अधीन कोई विनियम तब तक नहीं बनाया जाएगा तब तक विनियम बनाने वाले राज्यपाल ने जनजाति सलाहकार परिषद् वाले राज्य की दशा में ऐसी परिषद् से परामर्श नहीं कर लिया है!

भाग ग
अनुसूचित क्षेत्र

6. अनुसूचित क्षेत्र-

( 1 ) इस सविधान में , “ अनुसूचित क्षेत्र " पद से ऐसे क्षेत्र अभिप्रेत हैं जिन्हें राष्ट्रपति आदेश द्वारा अनुसूचित क्षेत्र घोषित करे ।
( 2 ) राष्ट्रपति किसी भी समय आदेश द्वारा -
( क ) निदेश दे सकेगा कि कोई संपूर्ण अनुसूचित क्षेत्र या उसका कोई विनिर्दिष्ट भाग अनुसूचित क्षेत्र या ऐसे क्षेत्र का भाग नहीं रहेगा ,
( कक ) किसी राज्य के किसी अनुसूचित क्षेत्र के क्षेत्र को उस राज्य के राज्यपाल से परामर्श करने के पश्चात् बढ़ा सकेगा ,
( ख ) किसी अनुसूचित क्षेत्र में , केवल सीमाओं का परिशोधन करके ही , परिवर्तन कर सकेगा ,
( ग ) किसी राज्य की सीमाओं के किसी परिवर्तन पर या संघ में किसी नए राज्य के प्रवेश पर या नए राज्य की स्थापना पर ऐसे किसी क्षेत्र को , जो पहले से किसी राज्य में सम्मिलित नहीं है , अनुसूचित क्षेत्र या उसका भाग घोषित कर सकेगा ,
( घ ) किसी राज्य या राज्यों के संबंध में इस पैरा के अधीन किए गए आदेश या आदेशों को विखडित कर सकेग्रा और संबंधित राज्य के राज्यपाल से परामर्श करके उन क्षेत्रों को , जो अनुसूचित क्षेत्र होंगे , पुनः परिनिश्चत करने के लिए नए आदेश कर सकेगा , और ऐसे किसी आदेश में ऐसे आनुषगिक और परिणामिक उपबंध हो सकेंगे जो राष्ट्रपति को आवश्यक और उचित प्रतीत हों , किंतु जैसा ऊपर कहा गया है उसके सिवाय इस पैरा के उपपैरा ( 1 ) के अधीन किए गए आदेश में किसी पश्चात्वर्ती आदेश द्वारा परिवर्तन नहीं किया जाएगा ।

भाग घ
अनुसूची का संशोधन

7. अनुसूची का संशोधन -

( 1 ) संसद् समय - समय पर विधि द्वारा , इस अनुसूची के उपबंधों में से किसी का , परिवर्तन , परिवर्धन या निरसन के रूप में , संशोधन कर सकेगी और जब अनुसूची का इस प्रकार संशोधन किया जाता है तब इस संविधान में इस अनुसूची के प्रति किसी निर्देश का यह अर्थ लगाया जाएगा कि वह इस प्रकार संशोधित ऐसी अनुसूची के प्रति निर्देश है । 

( 2 ) ऐसी कोई विधि , जो इस पैरा के उपपैरा ( 1 ) में उल्लिखित है , इस संविधान के अनुच्छेद 368 के प्रयोजनों के लिए इस संविधान का संशोधन नहीं समझी जाएगी ।

( 1 ) ऐसे प्रत्येक राज्य में , जिसमेंअनुसूचित क्षेत्र है और यदि राष्ट्रपति ऐसा निदेश दे तो , किसी ऐसे राज्य में भी जिसमें अनुसूचित जनजातिया है किन्तु अनुसूचित क्षेत्र नहीं है , एक जनजाति सलाहकार परिषद् स्थापित की जाएगी जो बीस से अनधिक सदस्यों से मिलकर बनेगी जिसमें से यथाशक्य निकटतम तीन चौथाई उस राज्य की विधान सभा में अनुसूचित जनजातियों के प्रतिनिधि होंगे परंतु यदि उस राज्य विधान सभा में अनुसूचित जनजातियों के प्रतिनिधियों की संख्या जनजाति सलाहकार परिषद् में ऐसे प्रतिनिधियों से भरे जाने वाले स्थानों की संख्या से कम है तो शेष स्थान उन जनजातियों के अन्य सदस्यों से भरे जाएगे.

8.जनजाति सलाहकार परिषद्

( 2 ) जनजाति सलाहकार परिषद् का यह कर्तव्य होगा कि वह उस राज्य की अनुसूचित जनजातियों के कल्याण और उन्नति से सबंधित ऐस विषयों पर सलाह दे जो उसको राज्यपाल द्वारा निर्दिष्ट किए जाए ।

( 3 ) राज्यपाल यथास्थिति , विहित या विनियमित करने के लिए नियम बना सकेगा।

( क ) परिषद के सदस्यों की संख्या को , उनकी नियुक्ति की और परिषद् के अध्यक्ष तथा उसके अधिकारियों और सेवकों की नियुक्ति की रीति को ;

( ख ) उसके अधिवेशनों के संचालन तथा साधारणतया उसकी प्रक्रिया को , और

( ग ) अन्य सभी आनुषंगिक विषयों को ,

( 1 ) इस सविधान में किसी बात के होते भी राज्यपाल लोक अधिसूचना द्वारा निदेश दे सकेगा कि ससद् का या उस राज्य के विधानमंडल का कोई विशिष्ट अधिनियम उस राज्य के अनुसूचित क्षेत्र या उसके किसी भाग को लागू नहीं होगा अथवा उस राज्य के अनुसूचित क्षेत्र या उसके किसी भाग को ऐसे अपवार्दो और उपातरणों के अधीन रहते हुए लागू होगा जो वह अधिसूचना में विनिर्दिष्ट करे और इस उपपैरा के अधीन दिया गया कोई निदेश इस प्रकार दिया जा सकता कि उसका भूतलक्षी प्रभाव हो ।

( 2 ) राज्यपाल किसी राज्य में किसी ऐसे क्षेत्र की शाति और सुशासन के लिए विनिमय बना सकेगा जो तत्समय अनुसूचित क्षेत्र है । विशिष्टतया और पूर्वगामी शक्ति की व्यापकता पर प्रतिकूल प्रभाव डाले बिना , ऐसे विनिमय





एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ
* Please Don't Spam Here. All the Comments are Reviewed by Admin.