हीरासुका भुमकाल की पूजा इसलिये की जाती है कि उसके बलीदान से दाई कली कंकाली के बच्चों को पहादी पारी कुपार लिंगो ने कोयली कचाड़ गुंफा से मुक्त किया था।
कुपार लिंगो और काली कांकली के बच्चों की मुक्ती कैसे हुआ।
हीरासुका भुमका ने अपने कींगरी के सप्त सूर युक्त संगीत की ध्वनी लहरों से कोयली कचाड़ गुंफा में बंद कली कंकाली के बच्चो में ऐसी शक्ति को संचारित किया कि वे अपने शक्ति से गुंफा के मुख्य द्वार में ढके हुए विशालकाय पत्थर के नीचे दबाकर बाहर ढकेलने में कामयाब हो गये और पत्थर के नीचे दबकर उसकी मौत हो गई ,बलिदान दिया ।
ऐसे उस महान हीरासुका भुमका पाटालीर की पूजा गोंड समुदाय के गण्डजीव करते हैं ।
⬇️यंहा क्लीक कारे⬇️
- 16 ढेम्सा 18 वाजा
- पोरा बड़गा त्योहार पुरी जाणकारी
- 750आकडा 33कोट देव (penk)विस्तृत वर्णन
- गोंडी(कोया) पूनेम दर्शन - पारी कुपार लिंगो
कोयली कचाड़ गुंफा से मुक्त होनेवाले कली कंकाली के बच्चों को पहांदी पारी कुपार लिंगो ने अपने शिष्य बनाया और उन्हीं के माध्यम से कोया वंशीय समुदाय को सगा समुदायिक संरचना में विभाजित गोंडी पुनेम दर्शन का मार्ग पढ़ाया ।
इसलिये उस हीरासुका की पूजा प्रति वर्ष करने गोंड समुदाय कचारगढ़ मुक्ति गुफा में जाता है ।
इसके अतिरिक्त अनेक तीज त्योंहार गोंडी पुनेमी समुदाय के लोग मनाते हैं । ⬅️ यंहा क्लीक करे
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