New Post! Gold Gondi Logos 

पोरा बड़गा त्योहार पुरी जाणकारी Bail poda badga gondwana festival

Bail Poda 

पोरा बड़गा यह त्योहार भादो अमावश को मनाया जाता है ।

 

पोरा बड़गा यह त्योहार भादो अमावश को मनाया जाता है ।

  पोरा बड़गा त्योहार porapandum  

पोरा बड़गा यह त्योहार भादो अमावश को मनाया जाता है । पोरा बड़गा को पोला कहा जाता है । इस त्योहार के लिये पंद्रह दिनों पूर्व से ही गाव के लड़के लड़किया गेड़ी बानाते हैं और उस पर चलते हुए मौज लेते हैं । रात्रि के समय वें गेड़ियों पर सवार होकर नृत्य भी करते हैं । इस त्योहार में बैल जोड़ियों की पूजा की जाती है । बरसात के वक्त खेत खलिहानों में काम करने के लिये जिन बैलों की मदत ली जाती है उनकी पूजा कर उन्हें भर पेट खिचड़ी खिलाते हैं । उसके लिये प्रकृति की गोद में जो सादा धान उग आता है , उस धान के चावल की खिचडी पकाई जाती है । यह इसलिये किया जाता है कि बिना बैलों की मदत से उगाए गये अनाज की खिचडी खिलाने से बैलों की शक्ति समू का नदी खुश हो जाता है और उन्हें वरदान देता है । पोला पर्व के दिन सुबह घर के मुखिया लोग मुर्र ( पलश ) पेड़ की डालिया काट लाते हैं और अपने घरों के मुख्य द्वारों पर मुरम डालकर खड़ी करके रखने है । दोपहर में बैलों को तालाब के पानी से नहलाया जाता है । घर लाकर उन्हें रगेबिरगे बेगड़ों से सजाते हैं । माथे पर छावर लगाकर झूल पहनाते हैं । मुर्र ( पलश ) पेड़ के बक्कलों की रस्सी के कासरे तथा बेसन बनाते हैं और उन्हीं से बैलों को बांदते हैं । उसी तरह मुर्र के बक्कलों से बेल पत्रिया बांधकर उन बक्कलों को पा के सभी दैनंदिन उपयोग में लाये जानेवाले वस्तुओं को बाधते हैं । साज के समय गाव के सभी लोग अपने बैल जोड़ियों को लेकर गाव की दिशा में ले जाते हैं । वहा एक तोरण लगाया जाता है । तोरण के नीचे बैलों को खड़े करते हैं और अत में मत्र बोल कर बदुक की आवाज के साथ तोरण तोड़कर पोला फोड़ते हैं । फिर सभी लोग अपने अपने बैलों को लेकर ढोलक बजाते हुये नाचते गाते अपने घर लौटते है । घर में बैलों को खिचड़ी खिलाकर उनकी पूजा करते हैं । दूसरे दिन सुबह गाव के लोग अपने घरों के द्वारों पर रखे हुए पलश के डालियों को उठाकर गाव के बाहर लेजाकर फेंकते हैं । उस वक्त वे रोग रह ले जा रे , मुरबोत । खटमल मच्छर ले जा रे मुरबोत । ऐसा चिल्लाते मुर्र अति पलश के डालियों को गांव के बाहर ले जाकर डालते हैं । पोरा बड़गा त्योहार पुरी जाणकारी

मुर्र अर्थात् पलश के पेड़

इस संदर्भ में गोंडी(कोया) पूनेम दर्शन – पारी कुपार लिंगो में ऐसी मान्यता कि मुर्र अर्थात् पलश के पेड़ में ऐसी शक्ति होती है कि उसके सम्पर्क से या गध से बरसात में जो बिमारियों के जतुओं का प्रादुर्भाव होता है वे मर जाते हैं । इसलिये उसी के बक्कलों में बेल पत्तिया बाधकर उन्हें घर के सभी नित्योपयोगी वस्तुओं में रात भर बाधकर रखते हैं और सुबह छोड़कर बाहर फेंक देते है । उस दिन सुबह पाड़वा मनाया जाता है , उसके लिये सभी लोग गांव के बाहर मैदान में जाते हैं और गेड़ियों को एक पेड़ पर लटकवा देते हैं । वहा मिट्टी के बने बैलों की पूजा करते हैं । तत्पश्चात उसी मैदान में गाव के मल्ल आपस में कुस्तिया खेलते हैं । उसके बाद वे सभी जगल में जाते हैं और मेरा , नारबोत , भिलवा तथा छिपाल आदि वनस्पतियों की डालिया लाकर अपने घरों में खोसते है । ये तीनों वनस्पतिया भी किटाणु नाशक होती हैं । वैद्यगीरी करनेवाले लोग उसी दिन जगल से कंद मूल , जड़ी बुटिया खोदकर लाते हैं । गोंड समुदाय में ऐसी मान्यता है कि उस दिन की तुलना में और दिनों में आयुर्वेदिक दवाईया कम शक्तिवर्धक होती है । इसलिये उसी दिन वे वर्ष भर की दवाईया ले आते हैं ।

igondi

   Click and read 

2 thoughts on “पोरा बड़गा त्योहार पुरी जाणकारी Bail poda badga gondwana festival”

Leave a Comment