पुरबा नlलेंज पूजा याने सुर्य चंद्र की पूजा । सुर्य को गोंडी भाषा में पोत्तू या पोड़दु भी कहा जाता है और चंद्र को नlलेंज कहा जाता है । कोया वंशीय गोंड समुदाय के गण्डजीव प्राकृतिक शक्तियों के उपासक है । इस प्रकृति पुरबा नlलेंज में जो भी दृश्य अदृश्य शक्तिया हैं उन सभी की वे उपासना करते हैं । जिसमें पुरबा या पोतू ( सुर्य ) और नलेज ( चद्र ) की उपासना भी शामिल है ।
सुर्य और चंद्र की परिक्रमा
पुरबा नlलेंज उपासना याने प्रकृति की तेज शक्ति और शितल शक्ति की उपासना है । पोतु याने सुर्य से तेज प्रकाश और चंद्र से शीतलता प्राप्त होती है । सुर्य और चंद्र की परिक्रमा से वे काल गणना करते हैं । उनकी सेवा कोया वंशीय गण्डजीवों एवं प्राणिमात्र को निरंतर प्राप्त होती रहे इसलिये उनकी उपासना करते हैं ।
दाऊ शक्ति और दाई शक्ति की पुजा
पुरबा की पूजा दाऊ शक्ति के रुप में और चंद्र की पूजा दाई शक्ति के रुप में की जाती है । पुरवा की पूजा घर के आंगण में और नlलेंज की पूजा घर के भीतर स्थित पेनभिना में करते हैं । यह पूजा वैशाख माह के अमावश के दिन की जाती है । सुर्य की पूजा सात ज्योति जलाकर और चंद्र की पूजा छह ज्योति जलाकर की जाती हैं , जिन्हें निवेत कहा जाता है । सुर्य पूजा का प्रसाद पुरुष वर्ग और चंद्र पूजा का प्रसाद महिलाए ग्रहण करती है । इस पूजा को गुसाई पुसाई पूजा भी कहा जाता है । क्या आप जाणतेहे हिराई आत्राम कोण है
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☆ Note
The information given here has been taken from the book of Gondi Koya people by asking for their consent and with the book of Gondi Puneem Darshan author Motiraven Kangali Ji!
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