जय सेवा का मतलब क्या है - गोंडी पुनेम में सेवा कार्य का महत्व jay sewa

गोंडवाना 750 का मतलब क्या है?

Jay sewa ka matlab kya hota hai

गोंडी पुनेम में सेवा कार्य का महत्व

कोया वंशीय गोंडीवेन समुदाय के गण्डजीव अपने पुनेम दर्शन के अनुसार निश्चल तथा निस्वार्थ सेवा भाव को सर्वाधिक महत्व देते हैं । वे एक दूसरे की सेवा निस्वार्थ भाव से ही करते हैं । यदि सेवा कार्य के बदले में किसी ने कुछ देना चाहा तो उसे यह कहकर अस्वीकार करते हैं कि सेवा कार्य के बदले में यदि कुछ स्वीकार किया गया तो उनका पुनेम भ्रष्ट हो जाता है । इस बात का यथार्थ उदाहरण यह है कि गावों में जो वैद्य होते हैं वे रोगियों का निदान बिना मूल्य कर दवा देते हैं । क्योंकि मात्र वैद्यगिरी करना उनका पेशा नहीं होता , औरों के समान खेती बाड़ी या मेहनत मजदूरी कर वे जीवनोपयोगी साध न जुटाते है और साथ साथ वैद्यगिरी भी करते हैं

विर बाबूराव पुल्लेसुर शेडमाके का जन्म और मृत्यू 

गोंड एक दुसरे को कैसे मदत करते है

इसी तरह अतिथियों का सत्कार करना , भूखे जीवों को खाना खिलाना , सामाजिक और धार्मिक कार्य में एक दूसरे की मदत करना , तथा खेती बाड़ी के कार्य में निस्वार्थ भाव से मदत करना । ये सभी कार्य इतनी सहजता और खुशी से करते हैं कि वह उनके जीवन का लक्ष बन जाता है । समुदाय के किसी भी परिवार में शादी विवाह , देवकार्य या मरणोत्तर संस्कार कार्य क्यों न हो सभी कार्य में सभी सगा गण्डजीव अपने अपने घर से अनाज , पैसा आदि साथ लेजाते हैं और जिस परिवार में कार्य होता है उसके मुखिया को सोप देते हैं , जिससे गरीब से गरीब परिवार के सभी कार्य सफल हो जाते हैं।इसी को सेवा काहा जाता हैं।

  1. गोंडी तिज तीहार की जाणकारी
  2. कुपार लिंगो का जन्म
  3. मुन्दमुन्शुल सर्री (त्रेगुण्य शुल मार्ग) त्रिशूल मार्ग 

गोंड समुदाय सेवा किसकी करते है 

कोया वंशीय गोंड समुदाय के गण्डजीवों के गोंडी पुनेम दर्शन की यह मान्यता है कि गण्डजीव मर जाते हैं परंतु उनका सेवा कार्य कभी मरता नहीं । सेवा के माध्यम से ही सभी का सुख चैन और कल्याण साध्य किया जा सकता है । वे प्रकृति के सभी दृश्य अदृश्य सत्वों की सेवा भाव से उपासना करते हैं । सभी जीव सत्व एक दूसरे के पूरक है , ऐसी उनकी मान्यता है , इसलिये सभी की सेवा सभी को प्राप्त होती रहे ऐसी उनकी सेवा कार्य के पीछे भावना होती है । इससे ही सभी जीव सत्वों में एक दूसरे के प्रति प्रीत बढ़ती है । दुश्मन दोस्त बन जाते हैं , शोषक पोषक हो जाते हैं , भक्षक रक्षक बन जाते हैं तथा सभी जीव सत्व अपने अपने दायरे में अपनी अपनी कक्षा में रहकर अमन चैन से जीते हैं । गोंडी पुनेम दर्शन की सेवा भावना को देखकर हम यह प्रतिपादन करते हैं कि किसी को सही मानवता का दर्शन पाना है तो गोंडी पुनेमी गोंड समुदाय के जीवन मूल्यों का अवलोकन करें । उनका शान्तिप्रिय जीवन और निस्वार्थ सेवा भावना देखकर ऐसा लगता है मानो सारे जहां का प्यार का सागर सिमट कर उन के जीवन में समा गया है ।
गोंड समुदाय सेवा करता हैं इसी लिए जय सेवा गर्व से ही बोलता है। आप सभी को मेरा जय सेवा.. सभी को शेर किजीए ताकी सभी गोंड समुदाय जय सेवा का मतलब क्या होता हैं मालूम हो,जाण सखे खुदको पेहचाण सखे..


एक टिप्पणी भेजें

0 टिप्पणियाँ