Gondi culture
गोंड समुदाय के रिस्ते नाते
गोंडी पुनेम दर्शन के प्रनेता पहादी पारी कुपार लिगो ने कोया वंशीय गण्डजीवों को सगापेन युक्त गोंदोला में संरचित करने के पश्चात उनके आपसी रिस्ते नाते सम और विषम सगाओं के अनुसार किस प्रकार होंगे इसकी व्यवस्था प्रस्थापित की है । मुख्य रूप से संपूर्ण गोंड समुदाय सम और विषम सगाओं में विभाजित होने से उनके आपसी संबध भी पितृ पक्ष और मात् पक्ष के गण्डजीवों से इस प्रकार प्रस्थापित होते हैं कि उनमें कहीं पर भी विविधता दृष्टिगोचर नहीं होती । सभी ओर साम्यता होती है । एक गण्डजीव या व्यक्ति अपने पितृ पक्ष के सभी सगाओं और मातृ पक्ष के सभी सगाओं से किस तरह अपने रिस्ते नाते प्रस्थापित करता है इसकी जानकारी निम्न प्रकार है ।
(१) पितृ पक्ष के रिस्ते नाते
- (तादो बाबाल - दादा के पिता)
- (आजी दाई - दादा की मां)
- (तादो-दादा) (आजी / ताजी -दादी )( दाऊ-पिता )
- (दाई माता )(मर्री - पुत्र) (मियाळ -पुत्री)
- (तंग मर्री -पोता) (तंग मियाळ -पोती)
- (डागुर तादो -बड़े दादा)( डागुर आजी -बड़ी आजी)
- (डागुर दाऊ -बड़े पिता)( डागुर दाई -बड़ी माता)
- (काकाल / उकाल - चाचा )(काकी -चाची)
- (फळोर काकाल -बड़े चाचा)( फळा काकी -बड़ी चाची)
- (तम्मुर -भाई) (सेळाल-बहिण)
- (अंगाल -बड़ा भाई) (अंगे-भाभी)
- ( नतिजाल -भतिजा) (नतीजे-भतीजी)
- ( आती -बुआ) (कोळ्यार-बहू)
- (काकतमु -चचेरा भाई) (काकसेलाळ-चचेरी-बहन)
- (तादोमुळीयाल -दादा ससूर) (आजी पोळार -दादी सास)
- (मुळीयाल -ससुर)(पोळार -सास) (तला मुळीयाल -जेठ)
- (शेरीयार -जेठानी) (काकमुळीयाल -ससूर का भाई)
- (काक पोळार -ससूर के भाई की पत्नी)
- (मिद्दो -पति) (मायजु - पत्नि ) (सरंडू -साला / देवर)
- ( सरंडार -साली)
- (काकदियाल -छोटे ससूर का पुत्र)
- (काकदिये – छोटे ससूर की पुत्री)
- (तंगोळार -जेठ साली) (तकाड़ी -देवरानी)
- (पेपी -बड़े पिता) (पेपीदाई -बड़ी माता)
- (बाबाल -पिता) (अवाल -माता)
- (कोळा मर्री -गोद पुत्र)(यायाल -माता)
(२)मातृ परिवार के रिस्ते नाते
- (अक्को दाऊ -नाना के पिता)
- (काको दाई -नाना की मां)
- (अक्को -नाना) (काको -नानी)
- (मामाल -मामा) (मामी / आती -मामा की पत्नी)
- (येणाल-मामा का पुत्र) (सांगो -मामा की कन्या)
- (कुचो -माता की बहीण)
- (कुकाल -माता के बहन का पती)
- (सढे -दामाद) (सढे मर्री -माता के भाई का पुत्र)
- (साधे मियाळ -माता के भाई की कन्या)
- (भासी/कोरयाळ -बहन की कन्या)
- (सढे/भासीयाल -बहन का पुत्र)
- (भातो -बहन का पती )
- (संगमर्री -कन्या का पुत्र)
- (संगमियाळ -कन्या की पुत्री)
गोंड समुदाय का कोई भी पोता अपने दादी से हसी मजाक कर सकता है परंतु नानी से नहीं क्योंकि पितृ पक्ष के सगा की कन्या होती है । पोता और दादा का सबध माई भाई का होता है तथा पोता और नाना का सबध हसी मजाक का होता है । पोता और दादा का संबध भाई भाई का होता है इसलिये पिता अपने पुत्र को बाप और माता अपने पुत्र को ससूर मानती है ।
उसी तरह पोती अपने दादी से हसी मजाक कर सकती है परतु नानौ से नहीं क्योंकि वह पितृ सगा की कन्या होती है जिसका रिस्ता बहन बहन का होता है । इसलिये पिता अपनी कन्या को सास और माता अपनी कन्या को माता मानती है , क्योंकि उसका विवाह मातृ सगा में प्रस्थापित होता है ।
गोंड समुदाय में बहन और भाई के सन्तानों में वैवाहिक सबध प्रस्थापित हो सकते हैं क्योंकि वह विषम सगा में ब्याही जाती है । दो समधि एक दूसरे से हसी मजाक कर सकते हैं कितु समधि समधन एक दूसरे से हसी मजाक नहीं कर सकते , क्योंकि रिस्ते में वे दोनों बहन भाई होते हैं ।
दादा और बेटे के पुत्र का रिस्ता भाई भाई का होता है परंतु कन्या के पुत्र के साथ वह हसी मजाक कर सकता हैं क्योंकि वह उसका नाना होता है । दादी अपने बेटे के पुत्र से हसी मजाक कर सकती है किन्तु बेटी के पुत्र के साथ नहीं क्योंकि नानी और पोता का रिस्ता भाई बहन का होता है ।
दादा और नाना , दादी और नानी , पिता और मामा तथा माता और मामी एक दूसरे से हसी मजाक कर सकते हैं परंतु दादा और नानी , दादी और नाना , पिता और मामी तथा माता और मामा एक दूसरे से हसी मजाक नहीं कर सकते क्योंकि उनमें भाई बहन का रिस्ता होता है ।
मोटे तौर पर दादा और पोता एक दूसरे को माई , बाप और बेटा एक दूसरे को पिता , चाचा और भतिजा एक दूसरे को काका , मामा और माजे उक दूसरे को ससूर , पोता और नाना एक दूसरे को संगी , पोती और दादी एक दूसरे को सांगो तथा माता और कन्या एक दूसरे को अवाल ( माता ) कह सकते है । इस तरह गोंड समुदाय के रिस्ते नातों का चक्र इसतरह सरचित है कि ऐसी व्यवस्था संसार के किसी मानव समुदाय में नहीं है ।
#Gondi-samuday-ke-Riste-Nate
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