गोंडी पुनेम ध्वज दर्शन गोंडवाणा की सप्तरंगी झेंडा

गोंडी पुनेम ध्वज दर्शन - गोंडवाणा की सप्तरंगी झेंडा

गोंडी पूनेम ध्वज 

गोंडी ध्वज का आकार कितनी होती हैं?

 गोंडी पुनेम ध्वज २x३ आकार का सप्तरंगी ध्वज होता है। 
इस ध्वज के सात रंग मूल श्वेत रंग से सप्तरंगी किरनों के रूप में बाहर निकलते हुए दिखाई देते हैं । 

गोंडी ध्वज कितने रंगो से और कैसे बंनता हैं?

श्वेत या सफेद रंग का जो पट्टा होता है वह परसा पेन शक्ति की श्वेत ज्योति का प्रतिक है जिसके सल्ला गांगरा ( दाऊ दाई ) शक्ति की क्रिया प्रक्रिया से गोंडी पुनेमी गण्डजीवों के सात सगाओं का प्रादुर्भाव हुआ है । इसके अतिरिक्त श्वेत रंग पर परसापेन शक्ति के सल्ला गांगरा शक्ति का प्रतिक अंकित होता है । सात सगाओं के सात पट्टों के रंग आकाशी , शेंदरी , जामूनी , लाल , मिट्ठू , हरा तथा पीला ये होते हैं । हर एक सगा का जो रंग होता है उस पर तीरनुमा चिन्ह से सगा देवों की संख्या अंकित होती है । 

गोंडी सगा पेन की ध्वज रंगो मे कितने चिन्हे होते हैं?

आकाशी रंग के पट्टे पर एक तौर , शेंदरी रंग के पट्टी पर दो तीर , जामुनी रंग के पट्टी पर तीन तीर , लाल रंग की पट्टी पर चार तौर , मिटठू याने पोपटी रंग के पट्टी पर पाच तीर , हरे रंग के पट्टी पर छह तीर और पीले रंग के पट्टी पर सात तौर अकित होते हैं । श्वेत पट्टी पर जो परसापेन शक्ति का प्रतिक अंकित होता है , उसमें लंबाकार प्रतिक सल्ला शक्ति का और गोलाकार प्रतिक गांगरा शक्ति का प्रतिक है ।

जय सेवा दर्शन के त्रिशूल मार्ग 

 सल्ला और गांगरा के क्रिया प्रक्रिया से जो ज्योति प्रज्वलित दिखाई देती है वह जीव जगत की ज्योति है , जिसमें से सात सगाओं का प्रार्भाव हुआ है । सल्ला और गांगरा प्रतिकों के नीचे जो त्रिशूलनुमा प्रतिक होता है वह कोया (गोंडी) पुनेम दर्शन का वैगुण्यशूल मार्ग का प्रतिक है , जिसे जय सेवा दर्शन कहा जाता है । जय सेवा दर्शन का वैगुण्यशूल मार्ग गण्डजीवों के बौध्दिक मानसिक और शारीरिक अग से संबंधित हैं । जय सेवा दर्शन के त्रिशूल मार्ग से चलकर ही सभी जीवों का कल्याण साध्य किया जा सकता है , ऐसी गोंडी पुनेम की मान्यता है । 

गोंडी पुनेम दर्शन का अंतिम लक्ष क्या हैं?

सगा समुदाय के गण्डजीवों का सर्वकल्याण साध्य करना ही गोंडी पुनेम दर्शन का अंतिम लक्ष है । गोंडी पुनेमी गण्डजीवों के जो बारह सगा शाखायें है वे कुल ७५० गोत्र नामों में विभाजित हैं । इसलिये गोंडी पुनेम दर्शन में ७५० के अंक को शुभांक या चोखो सगुन माना जाता है । इसलिये ७५० का अंक त्रिशूलाकार चिन्ह के मध्य में अंकित होता है । यह ध्वज गोंडी पुनेमी गण्डजीवों का सांस्कृतिक मूल्यों का साक्षात दर्शन कराता है । Read More

Note
इस article मे लिया गया पूर्ण जाणकारी गोंडी पुणेम पुस्तक की मदत से लिया गया है
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