कोया वशिय समुदाय में प्राचीन काल में पति के मरणोपरान्न उसके पलि को घृणित एव उपेक्षित निगाहों से देखा जाता था । रायतार को भी ऐसे ही कुप्रथाओं का सामना करना पड़ा । इसलिये उसने ऐसे परितक्ता स्त्रियों को सेवा करने का दृढ सकल्प किया । उसने अपने पिता के गण्डराज्य में नीलकोंडा पर्वतीय मालाओं के परिक्षेत्र में परितक्त स्त्रियों के लिए मन्दायरोन ( आश्रम ) की स्थापना की और उस स्थान का नाम कंकाली जीवांना ठाना ऐसा रखा । उसके पिताजी ने उसे जरूरत की सभी चिजों की परिपूर्ति की । उस आश्रम की पूरी व्यवस्था रायतार ने अपने हाथों में संभाल लिया और उस राज्य में जितने भी परितक्ता स्त्रिया थी उन्हें और उनके बच्चों को एकत्रित कर उनकी सेवा करने का कार्य आरम किया ।
अविवाहित कन्या
Table of contant
- बच्चों की देखभाल औऱ जंगोम का मतलाब
- जंगो रायतार ने कोया वंशीय समुदाय को समझाना आरंभ किया
यदि कोई बच्चा जन्म लेते ही उसके माता पिता मर जाते हैं
- जंगो रायतार के नियम गोंड समुदाय के लिये
कुवारी कन्या के हाथ से कुछ अनैतिक घटना
कुप्रथाओं का शिकार स्वयं रायतार भी हो चुकी थी
कोया वंशीय गण्डजीवों के समुदाय में प्रचलित कुप्रथाओं का शिकार स्वयं रायतार भी हो चुकी थी । इसलिये उसने अपने गण्डराज्य के कंकाली तथा विधवा स्त्रियों और मोयनोर ( बिना माता के ) बच्चों को एकजगह अपने आश्रम में जमा करके उनकी सेवा करने का कार्य आरंभ किया । सभी कंकाली और पृणित स्त्रिया रायतार जंगो के मन्दायरोन में रहकर अपने जीवनोपयोगी संसाधनों का उपयोजन कर जीवन निर्वाह करती थी । वे सभी स्त्रिया रायतार की सेविका बनकर
बच्चों की देखभाल
जंगो रायतार ने कोया वंशीय समुदाय को समझाना आरंभ किया
जंगो रायतार ने अपने तर्कपूर्ण विचारों से कोया वंशीय समुदाय के गण्डजीवो को समझाना आरंभ किया कि कंकाली स्त्रिया और मोयनोर बच्चे भी कोया वंशीय समुदाय के ही देन है और इसी समुदाय के गण्डजीवं ही उन्हें कलकित एव मोयनोर जीवन प्रदान करते है । यदि किसी कुवारी कन्या से कोई अनैतिक घटना घटित होती है तो उसके जिम्मेदार भी समुदाय के ही लोग होते है और ऊपर से उन्होंने ही ऐसे कन्याओं को कलकित कहना या घृणित निगाह से देखना कदापि न्यायसंगत नहीं है । उसी तरह किसी विवाहिता का पति मर जाता है तो उसमें उस पत्नी का क्या दोष है ।
यदि कोई बच्चा जन्म लेते ही उसके माता पिता मर जाते हैं
यदि कोई बच्चा जन्म लेते ही उसके माता पिता मर जाते हैं तो इसमें उस बच्चे का क्या दोष है । यदि कोया वंशीय समुदाय के गण्डजीवों को उनकी स्त्रिया कंकाली अथवा विधवा और बच्चे मोयनोर नहीं होना चाहीए ऐसा लगता है , तो उन्होंने सर्व प्रथम अपने आपको अमर बनाना चाहीए । प्रथम अमरत्व प्राप्त करके ही उन्होंने इस समुदाय में जन्म लेना चाहीए । जो समुदाय नश्वर गण्डजीवों को जन्म देता है ऐसे विधवा स्त्रियों तथा मोयनोर बच्चों को दोष देने का , उन्हें घृणित निगाह से देखने का कोई अधिकार नहीं । जंगो रायतार के ऐसे विवेकपूर्ण एव तर्कसंगत विचारों से कोया वंशीय समुदाय के गण्डजीवों में वैचारिक जागृति निर्माण हो गई । सभी लोग रायतार को जंगो रायतार दाई के रूप में मानने लगे । हर गांव में जाकर जंगो रायवार ने लोगों में वैचारिक जागृति निर्माण करने का कार्य किया । कोया वंशीय समुदाय के गण्डजीवों के लिये उसने नए नियम बनाए , जो निम्नानुसार है । जंगो लिंगो
जंगो रायताड के नियम गोंड समुदाय के लिये।
( १ ) कोया वंशीय समुदाय में कन्या का एक बार विवाह हो जाने पर , वह जिस कुल में बिहाई जाती है उस कुल की वधु ( कुटमार कोडयार ) बनी रहेगी । उसके पति के मरणोपरान्त भी वह विधवा नहीं कहलाएगी बल्कि कुल वधु ही कहलाएगी । पति के मरणोपरान्त उसका यदि छोटा देवर ( सरंडू ) है , तो उसके साथ उसका पाठ (उपविवाह ) लगाया जाना चाहिए । यदि देवर सज्ञान नहीं है , तो उसी कुल से उसका विवाह अन्य कुल में करा देना चाहिए । यदि वह बाल बच्चों वाली है तो उसकी पूरी जिम्मेवारी उसी कुल के लोगों द्वारा उसका और उसके बच्चों का सम्मान के साथ परवरिश किया जाना चाहिए ।
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