फडापेन किसे कान्हा जाता हैं
फड़ापेन याने प्रकृति की सर्वोच्च शक्ति । इस शक्ति को परसापेन , सजोर पेन , हजोर पेन , सिंगाबोंगा पेन , मारांग बुरु पेन , बड़े पेन आदि नामों से संबोधित किया करते हैं । इस शक्ति की उपासना वैशाख पूर्णिमा को गांव के बाहर स्थित पेन कड़ा , देव खलिहान या सरना स्थल में किया जाता है । इस शक्ति की स्थापना साजा , सरई , महुमा , बरगद आदि पेडों के कोह में होती है । पूजा स्थल में सल्ला और गांगरा प्रतिकों के साथ पालो , पुंगार , छावर आदि होते हैं ।
जल से पाक एवं शुध्द करता है
पालो यह परसापेन शक्ति का आसन , पुंगार और छावर उसके बाना होते हैं । पूजा करते वक्त सभी गोत्रज पेनगढ़ में जमा होते हैं । आपस में वर्गणी का पूजा पाठ का साहित्य ले आते हैं । पेनगढ़िया सर्व प्रथम सभी गोवजों को एक कतार में बिठाकर उन्हें सोन रुप की जल से पाक एवं शुध्द करता है , जिसके लिये पेनगढ़ में स्थित शक्ति को बकरी , मुर्गी या अन्य जीव की बली दी जाती है । गोंड समुदाय के महत्व पूर्ण पुजा और तिज तीहार
पेरसा पेन शक्ति की क्या महिमा है ?
प्रथम दिवस में सभी शुध्द होकर दूसरे दिन सुबह परसापेन की पूजा सरना स्थल में जाकर करते हैं । परसा पेन शक्ति की क्या महिमा है उसकी उपासना कोया वंशीय गोंड समुदाय के सभी सगा गण्डजीव अपने अपने सगा गोत्र के गढ़ में क्यों करते हैं इसकी जानकारी निम्न परसा पेन स्मरण पाटा से होती है ।
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