(1)आरती बूढादेव (2)बड़ादेव प्रार्थना जय सेवा 🙏जय गोंडवाना arthi budha dev ki



 (1)आरती बूढादेव  जय सेवा 🙏जय गोंडवाना 

आरती बूढादेव आरती हो रही रे बूढ़ा देव , 
सतरंगी ध्वजा लहराय ॥
 कौन मड़ा तोरो ठाना रे कौन पूजन हार । 
कौन उतारे तोरी आरती , कौन करें गुणगान ॥ 
 साजा मड़ा तोरो ठाना रे कोया पूजन हार ।
 लिंगो उतारे तोरी आरती कोय तूर करे गुण गान॥ 
 दिव्य शक्ति बड़ा है जगत नियंता देव । 
कोया मुरी द्वीप में शम्भू भये महादेव ॥
  कली कंकाली जंगो दाई महा शक्ति वरदान ।
 तैतीस कोट के देवता महिमा करे बखान ।। 
  अनंत अनादि देव है भेद कोई नहीं पाये ।
 प्रकृति शक्ति बड़ादेव है गोंडीजन ध्यान लगायें ॥  
साल साज में सात्विक पूजा फिर महुआ में आयें ।
 धूप द्वीप कोया फूल चढ़ावें , सुख सम्पत्ति घर आयें । 
दिन रविवार ओ पूजन वारा पाँच कलश है जलायें । 
कोयावंशी देव जस गावें संकट होजा सहाय ॥ 
॥ जय फड़ापेन ॥ 11 ।

 (2)बड़ादेव प्रार्थना जय सेवा 🙏जय गोंडवाना 

बड़ादेव प्रार्थना
 बड़ादेव शक्ति प्रदान करो ,
  हम तेरे पुजारी बन जावे ॥ टेक ॥
  हर रोम रोम में वास करो , 
  तन मन के विकारों को दूर करो ।
   अब ज्ञान की ज्योति जला देना ,
    अंधकार सब मिट जावे ॥1 ॥ 
    अब मुझ में सत्य ज्ञान भरो ,
     सेवा से सम्मान करो ।
      मेरे मन में भक्ति भाव भरो , 
      हम सेवा कार्य में लग जावें।।2 ।। 
      धर्म शील दया न्याय रहे ,
       अन्याय से हरदम दूर रहें ।
        संकट से हम को बचा लेना , 
        दया तुम्हारी हम पर बनी रहे ॥3 ॥
         अब हाथ जोड़ मेरी अरजी है ,
          बड़ादेव तुम्हारी मरी है । 
          भक्ति से शक्ति दे देना ,
           मेरे मन्सा पूर्ण हो जावे ॥4 ॥ 
           शंभूशेख तुम्हारी जय सेवा , 
           बड़ादेव तुम्हारी जय सेवा । 
           सेवा से मेवा दे देना ,
            " सुख सम्पत्ति फल पा जावें ॥5 ॥

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